इतने मसरूफ ना रहो दोस्त,

हमारी सदा भी ना सुन सको

ये बारिश है या पुरानी यादें

कभी बरसते है, कभी तरसते

कुछ तो लाजवाब खूबी होगी मुझ में,

चंद लोगों की आँखों में खटकने लगा हूँ

हैरान हूँ, ख्वाब आते भी है तब,

दोनों आँखें खुली रहती है जब।

मुलाकात वो भी कम नहीं

ख्वाब में आते ही तूने कहा,

क्या बात है, मिलते ही नहीं

‘जाग” खुदा से कुछ ख्वाइशें की थी कभी,

बादलों का भीगा भीगा जवाब आया अभी।

कागज़ पर खेलता हर अलफ़ाज़ भीग गया,

दिल्ली की बारिश नहीं, तेरा इंतज़ार हो गया

मेरे लफ़्ज़ों  से नाराज़ रहने वाले,

अपना ज़िक्र मेरी ख़ामोशी में सुन

बीतें लम्हों की खुशबू की मदहोशी में

बेवजह तुम भी कभी मुस्कुराती होगी।

उलझन में हवाएं भी है आज,

तेरी खुशुबू लिए भटक रहे है।

थोड़ी ज़ेहमत उठा लिया करो,

मुत्तसिल अपना बना लिया करो

जो लिखता हूँ, पढ़ने वाले कई मिलते है,

जो कहना है, समझने वाले दोस्त चाहिए

गुस्सा छोडो, चलो नहीं लिखते

कभी ख्वाब में रु बा रु कह देंगे

आईना न देखो अपने अच्छाई की कद्र करने को,

मेरे चंद शेर पढ़ लो, वो भी यही बयान करते है।

मुझसे कहते हो के मत इज़हार करो अल्फ़ाज़ों में,

कभी पहचानने दो मुझे अपने तसव्वुर के हदों को।

आफताब, अपनी गर्मी और हुनर पर गुरूर कर दिखा

इस शहर के पथ्थर दिलों के दिल पिघला कर दिखा

अक्सर कहने को जी करता है,

तुम ठहरो, वक़्त को जाने दो।

एहसास है, समझना समझाना लाज़मी नहीं

हज़ारों पन्ने लिख डाले, कहा कुछ भी नहीं

मैंने पूछ क्या लिया के कभी चाय पीते हैं ,

मुस्कुरा के घडी की तरफ इशारा कर गई

मेरा बस चले तो उसका आईना छुपा दूँ,

अकेले में कहीं खुद पर नज़र ना लगा दे

ख्वाब ना देखता, अगर तुम ना  मिले होते

गर सबको बता सकता, तो ख्वाब न होते

प्यार तुझसे, रोज़ बरोज़ बढ़ती जाए

तुम्हारा नाम महंगाई होना चाहिए था

कभी फुर्सत में याद कर लिया करो हमें,

काम के लिए तो दुनिया बात करती है।

कभी बारिश बारिश जैसी होती है,

तो कभी बारिश सिर्फ पानी होता है

आज फ़िर से सुन लो, जो तुम्हे पता है

आज फ़िर मैंने सुबह का सपना देखा है

क़ाबलियत देखूँ तो लिखा न जाए,

मेरे लफ़्ज़ों के मायने समझा जाए

सर्द हवाओं के लिए खोली थी खिड़की,

यादों की खुशबु ने सारा कमरा भर दिया

अच्छा लगता है लफ़्ज़ों में मायने ढूंढ़ना,

ज़रूरी नहीं के दोस्ती का मतलब निकले

जो ना मिला, वो तुम्हारा था ही नहीं,

जो तुम्हारा होगा, वो मिले क्यों नहीं

तारों से मैंने कल तेरी बात की,

फ़िदा मुस्कराहट पर वो भी है।